*कोरोना वायरस को लेकर पूरी दुनिया में घिरने लगा चीन


 


 


 


कोरोना वायरस को लेकर पूरी दुनिया में घिरने लगा चीन, पड़ा अलग-थलग*


कोरोना वायरस महामारी में अपनी संदिग्ध भूमिका को लेकर चीन अब पूरी दुनिया में घिरने लगा है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार को चेतावनी दी कि अगर कोरोना वायरस के लिए चीन जिम्मेदार निकला तो उसे इसके गंभीर नतीजे भुगतने होंगे. ऑस्ट्रेलिया ने भी चीन पर पारदर्शिता ना बरतने का आरोप लगाते हुए वायरस की उत्पत्ति की अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग की है. अमेरिकी सेना पर कोरोना वायरस की साजिश रचने के आरोप लगाने से लेकर दुनिया के कई देशों को मेडिकल उपकरणों की आपूर्ति कर छवि सुधारने की कोशिश जैसे चीन के कई दांव उल्टे पड़ चुके हैं.


कुछ विश्लेषकों का कहना है कि कोरोना वायरस महामारी से निपटने में अमेरिका समेत पश्चिमी देशों की नाकामी चीन को दुनिया की अगुवाई करने का मौका देगी. वहीं, कुछ विश्लेषक कह रहे हैं कि कोरोना वायरस संकट की वजह से चीन के प्रति दुनिया भर में अविश्वास पैदा होगा और उसके तमाम देशों के साथ संबंध कमजोर पड़ेंगे. कोरोना वायरस की उत्पत्ति और उसकी रोकथाम में चीन की भूमिका को लेकर तमाम देश सवाल खड़े कर रहे हैं.


चीन में अब तक करीब 5000 मौतें हुई हैं, वहीं अमेरिका में 40,000 से ज्यादा लोग कोरोना की चपेट में आकर मर चुके हैं. इटली-स्पेन में भी मौत का भयावह आंकड़ा है. अमेरिकी राष्ट्रपति समेत दुनिया के कई देश चीन के आंकड़ों पर भी शक जाहिर कर चुके हैं. ये संदेह तब और बढ़ गया जब चीन ने शुक्रवार को अचानक वुहान में कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या में 50 फीसदी का इजाफा कर दिया. चीन ने कहा कि कुछ अस्पतालों में जल्दबाजी में मौतों का रिकॉर्ड ठीक से दर्ज नहीं किया गया था. अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने फॉक्स न्यूज से बातचीत में कहा कि चीन के राष्ट्रपित शी जिनपिंग की नेतृत्व वाली सरकार को कोरोना वायरस महामारी के लिए जिम्मेदार ठहराना चाहिए. पोम्पियो ने कहा कि चीन को दुनिया को बताना होगा कि इतनी तेजी से वायरस कैसे फैल गया. ABC टेलीविजन से बातचीत में ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री मैरिस पाइन ने कहा है कि कोरोना वायरस के संदर्भ में चीन की पारदर्शिता को लेकर उनकी चिंता बहुत महत्वपूर्ण है. ऑस्ट्रेलिया वैश्विक महामारी को लेकर जांच चाहता है जिसमें वुहान में कोरोना के पहले मामले आने के बाद चीन के ऐक्शन की भी जांच होनी चाहिए.


अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का चीन पर हमला तेज होता जा रहा है. पेकिंग यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता वांग जिसी ने एक इंटरव्यू में कहा है, 1970 में औपचारिक कूटनीतिक संबंध स्थापित होने के बाद से अमेरिका-चीन के संबंध सबसे बुरे दौर में पहुंच गए हैं. दोनों देशों के व्यापारिक संबंध पहले से ही तनावपूर्ण चल रहे थे और अब इनके सुधरने की गुंजाइश भी खत्म होती नजर आ रही है****