लॉकडाउन के दौर में इंटरनेट पर बढ़ा भारी दबाव, सोशल साइट यूजर की संख्या में भारी इजाफा


कोरोना वायरस के कारण दुनिया के ज्यादातर देश लॉकडाउन में चले गए हैं.


घरों में कैद रहने को मजबूर लोगों का खाली समय बिताना चुनौती बन गया है.


लॉकडाउन का असर इन दिनों इंटरनेट पर बढ़ते दबाव के रूप में देखा जा रहा है


कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है. कई देशों ने संक्रमण से बचने के लिए अपने यहां लॉकडाउन कर दिया है. जिसके कारण लोग अपने-अपने घरों में कैद होने को मजबूर हो गये हैं. ऐसे में इंटरनेट पर लोगों की निर्भरता तेजी से बढ़ी है.


 


लॉकडाउन के दौर में इंटरनेट पर बढ़ा दबाव


 


लोग खाली समय बिताने और जानकारी हासिल करने के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं. ट्वीटर का कहना है कि कोरोना वायरस की महामारी फैलने के बाद पहली तिमाही में इसके यूजर की संख्या 15 करोड़ से बढ़कर 16 करोड़ हो गई है. कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जैक डोरसी ने इस बारे में बताया, "हमारा मकसद संपर्क की सहूलियत मुहैया कराना है. हमने किसी उद्देश्य के लिए ट्वीटर के इस्तेमाल करने के रुजहान को देखा है." इससे पहले फेसबुक ने भी आंकड़ों के हवाले से बढ़ोतरी की बात कही थी.फेसबुक ने बताया था कि इटली में आम दिनों के मुकाबले 70 फीसद ज्यादा लोग इसका इस्तेमाल कर रहे हैं.


 


यूट्यूब ने डिफॉल्ट रिज्योल्यूशन कम किया


 


वहीं एक हफ्ते में फेसबुक लाइव और इंस्टाग्राम का व्यूज दोगुना हो गया है. मैसेजिंग की दर में भी 50 फीसद से ज्यादा बढ़ोतरी देखने में आई है जबकि ग्रुप कॉल का दर बढ़कर हजार फीसद हो चुका है. इतना ही नहीं लॉकडाउन के दौर में स्ट्रीमिंग सर्विस का रुजहान भी बढ़ा है.


 


इसके मद्देनजर यूट्यूब ने दुनिया भर में वीडियो डिफॉल्ट रिज्योल्यूशन कम कर दिया है. गूगल ने सरकारों और नेटवर्क ऑपरेटर के साथ मिलकर इंटरनेट पर दबाव कम करने की बात कही थी. जहां तक नेटफ्लिक्स की बात है तो उसने यूरोप में स्ट्रीमिंग क्वालिटी को 25 फीसद तक कम कर दिया है जबकि एपल का मामला भी कुछ इसी तरह का है.