कोरोना वायरस: क्वैरैंटीन का इतिहास, उत्पत्ति और इस्तेमाल

 


कोरोना वायरस का असर लगभग पूरी दुनिया में हैं। भारत भी इससे अछूता नहीं है। लेकिन इसी के साथ एक शब्द और भी सुनने में आ रहा है और वो है क्वैरैंटीन। तो आइए, आज आपको बताते हैं इस शब्द और इसके इतिहास के बारे में। हम आपको यह जानकारी भी देंगे कि इस शब्द का पहली बार उपयोग कब और कहां किया गया था।


 

क्वैरैंटीन का इतिहास


सबसे पहली बार क्वैरैंटीन शब्द का इस्तेमाल 14वीं शताब्दी में किया गया था। ये शब्द लेटिन भाषा के क्वाड्राजिंटा और इटली भाषा के क्वारांटा से मिलकर बना है। इन दोनों शब्दों का मतलब 40 होता है।


14वीं शताब्दी में शुरूआत


14वीं शताब्दी में यूरोप में गिल्टी प्लेग (ब्लैक डेथ के नाम से ज्यादा प्रसिद्ध) के फैलने की शुरूआत हुई। साल 1343 के समय ये बीमारी इतनी तेजी से फैली कि यूरोप की लगभग एक तिहाई जनसंख्या इसकी चपेट में आई। साल 1347-50 के बीच ये बीमारी तेजी से फैली। रागुसा (डबरोवनिक, क्रोएशिया) के अधिकारियों ने ट्रेंटिनो लागू करने के लिए कानून पास किया।

जिसके तहत प्लेग प्रभावित जगहों से आने वाले जहाजों को 30 दिन के लिए आइसोलेशन में रखा गया। किसी भी व्यक्ति को उन जहाजों पर जाने की अनुमति नहीं थी। अगले 80 साल तक मार्सिले, पीसा और अन्य शहरों ने इस कानून को अपनाना शुरू किया। 


40 दिन की अवधि 


14वीं शताब्दी में आइसोलेशन की अवधि को 30 दिन से बढ़ाकर 40 दिन किया गया। बाद में ट्रेंटिनो का नाम बदलकर क्वारैंटिनो हुआ जो अभी क्वैरैंटीन नाम से जाना जा रहा है। 40 दिन की अवधि को लेकर लोगों के मन में कई सवाल थे लेकिन इस नंबर के कई सांस्कृतिक मतलब खोजे गए। बाइबिल की कई घटनाएं 40 नंबर पर लिखी गई हैं, जैसे 40 दिन के लिए यीशु का रेगिस्तान में रहना, माउंट सीनाई पर मोजिस का रहना।