31 मार्च के बाद नहीं बिकेंगे BS4 वाहन, सुप्रीम कोर्ट का राहत से इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने BS4 इंजन की गाड़ियों को लेकर अहम आदेश दिया है. आदेश के मुताबिक अब 31 मार्च के बाद BS4 इंजन की गाड़ियां नहीं बिकेंगी. 




  • बीएस-4 नियम अप्रैल 2017 से देशभर में लागू हुआ था

  •  आगामी 1 अप्रैल से बीएस-6 को अनिवार्य किया गया है


अगर आपके पास BS4 इंजन की गाड़ी है तो 31 मार्च के बाद आपकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं. सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर दोहराया है कि 31 मार्च के बाद से BS4 वाहन नहीं बिकेंगे.


दरअसल, साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने BS4 वाहन की बिक्री पर रोक लगा दी थी. इसके बाद ऑटोमोबाइल डीलर्स ने एक याचिका दायर कर अतिरिक्‍त समय मांगा था. याचिका में कहा गया था कि कोर्ट उन्हें 30 अप्रैल तक का समय दे, ताकि वो स्‍टॉक में रखे BS4 वाहन बेच सके.


 


अब इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर राहत देने से इनकार किया है. बता दें कि बीएस-4 नियम अप्रैल 2017 से देशभर में लागू हुआ था. साल 2016 में केंद्र सरकार ने घोषणा की थी कि देश में बीएस-5 नियमों को अपनाए बगैर ही 2020 तक बीएस-6 नियमों को लागू कर दिया जाएगा.


 


ये बीएस वाहन का मतलब क्‍या होता है?


जब भी गाड़ी की बात होती है तो उससे जुड़े एक नाम 'BS' का भी जिक्र होता है. दरअसल, बीएस का मतलब भारत स्टेज से है. यह एक ऐसा मानक है जिससे भारत में गाड़ियों के इंजन से फैलने वाले प्रदूषण को मापा जाता है. इस मानक को भारत सरकार ने तय किया है. वहीं बीएस के आगे नंबर (बीएस-3, बीएस-4, बीएस-5 या बीएस-6) भी लगता है. बीएस के आगे नंबर के बढ़ते जाने का मतलब है उत्सर्जन के बेहतर मानक, जो पर्यावरण के लिए सही हैं. आसान भाषा में समझें तो बीएस के आगे जितना बड़ा नंबर  लिखा होता है उस गाड़ी से उतने ही कम प्रदूषण होने की संभावना होती है.



 


1 अप्रैल से बीएस-6 अनिवार्य


सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आगामी 1 अप्रैल से बीएस-6 को अनिवार्य कर दिया गया है. इस मानक की गाड़ी से प्रदूषण बेहद कम होने की उम्‍मीद है. इसी को ध्‍यान में रखकर अब ऑटो कंपनियां बीएस-6 गाड़‍ियां लॉन्‍च कर रही हैं.