जानिए, दिल्ली में क्यों जीती आम आदमी पार्टी, क्या रहे वो 5 बड़े कारण?


दिल्ली में तीसरी बार आम आदमी पार्टी की सरकार बनने जा रही है. इस बार भी पिछले चुनाव की तरह आम आदमी पार्टी ने शानदार जीत दर्ज की है.आप ने चुनाव प्रचार अभियान को बिजली, पानी, शिक्षा और चिकित्सा क्षेत्र में किये गये कामों पर ही मुख्य रूप से केन्द्रित किया था.


नई दिल्ली: अरविंद केजरीवाल तीसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बनेंगे. चुनाव नतीजों में कुल 70 में से 48 सीटों पर आम आदमी पार्टी जीत दर्ज कर चुकी है. पार्टी कार्यकर्ता हों या जनता सबकी जबान पर बस एक ही बात है कि इस जीत का श्रेय आरविंद केजरीवाल की कुशल राजनीति, उनके काम को जाता है. इसी बीच सवाल ये भी उठता है कि आखिर वो कौन से कारण रहे जिसने इतने कड़े मुकाबले के बीच केजरीवाल की पार्टी को प्रचंड जीत दिलाई. वरिष्ठ पत्रकार दिबांग के मुताबिक आम आदमी पार्टी की जीत के निम्न कारण हैं.


 


साफ दिख रहा है कि दिल्ली सरकार के किए काम की बदौलत अरविंद केजरीवाल ने ये जीत हासिल की है क्योकि सरकार और जनता के बीच किया गया काम ही सबसे अहम भूमिका निभाता है और इसमें अरविंद केजरीवाल ने बाजी मार ली.


 


केजरीवाल ने दो सौ यूनिट बिजली, महीने में 20 हजार लीटर पानी मुफ्त कर दिया, उससे आम जन और गरीब परिवारों की जेब पर भार कम हुआ. लाभ पाने वाला गरीब तबका चुनाव में साइलेंट वोटर बना और कमाल कर गया.


 


केजरीवाल सरकार में हुए काम
दो सौ यूनिट तक बिजली फ्री करने वाली योजना के एलान के बाद दिल्ली में कुल 52 लाख 27 हजार 857 घरेलू बिजली कनेक्शन में से 14,64,270 परिवारों का बिजली बिल शून्य आया. इससे लाभ पाने वालों ने आम आदमी पार्टी को वोट दिया.


 


आम आदमी पार्टी ने महिलाओं का भी ख्याल रखा. केजरीवाल सरकार ने बसों में 30 अक्टूबर को भैयादूज के दिन से मुफ्त सफर की महिलाओं को सौगात दी. एक आंकड़े के मुताबिक, प्रतिदिन करीब 13 से 14 लाख महिलाएं दिल्ली में बसों में सफर करती हैं.


 


स्कूलों की वजह से दिल्ली का एक बड़ा तबका प्रभावित हुआ है. दिल्ली सरकार ने सबसे ज्यादा लाभ निजी स्कूलों की फीस पर अंकुश लगाकर मध्यमवर्गीय जनता को दिया. केजरीवाल सरकार ने फीस पर नकेल कस दी. इसका लाभ मध्यमवर्गीय परिवारों को हुआ है और चुनाव में जिसका सीधा फायदा आप को हुआ.


 


कामों का हुआ धुंआदार प्रचार
आम आदमी पार्टी की सरकार ने काम करने के साथ साथ उसका जमकर प्रचार भी किया. फ्री बिजली हो पानी हो या फिर महिलाओं के लिए फ्री बस यात्रा केजरीवाल सरकार ने जमकर इसके विज्ञापन बनवाए. प्रचार-प्रसार को भी जनता तक पहुंचने का सीधा जरिया माना जाता है. आम आदमी पार्टी इस बार ट्विटर से लेकर फेसबुक तक हर मोर्चे पर बीजेपी से आगे रही. जिसका फायदा चुनावी नतीजों में दिख रहा है.


 


राष्ट्रवादी मुद्दों पर बोलने से बचते रहे केजरीवाल
दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की प्रचंड जीत का एक कारण ये भी रहा कि वो हमेशा राष्ट्रवादी मुद्दों पर बोलने से बचते रहे. उन्होंने कभी शाहीन बाग के खिलाफ कुछ भी नहीं बोला. हालांकि बीजेपी ने इसका भरपूर इस्तेमाल किया लेकिन वो वोटर्स को लुभा नहीं पाई. नतीजा ये हुआ कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जबरदस्त हार हुई. लगभग 21 दिनों तक चले आक्रामक प्रचार के बावजूद दिल्ली में बीजेपी की नैया डूब गई. बीजेपी ने ध्रुवीकरण की आक्रामक पिच तैयार कर रखी थी, इसके बावजदू पार्टी को सफलता नहीं मिली.


 


अरविंद केजरीवाल ने शाहीन बाग न जाने और उसके बारे में ना बोलने की कसम खा ली. या फिर यू कहें कि आम आदमी पार्टी की बैठक में तय हुआ कोई भी शाहीन बाग की चर्चा नहीं करेगा. फिर सभी छोटे बड़े नेता इस बात का ध्यान रखने लगे. बीजेपी के लाख उकसावे के बावजूद केजरीवाल की टीम इस चक्कर में नहीं फंसी. शाहीन बाग के बहाने साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण कराने की बीजेपी की कोशिशें बेकार रहीं. अमित शाह से लेकर कपिल मिश्रा तक ने क्या क्या नहीं कहा. लेकिन आप के नेताओं ने इसे एक कान से सुना और दूसरे से निकालते रहे. राष्ट्रवादी मुद्दों को ना उठाने में उन्होंने शरद पवार और हेमंत सोरेन जैसी सोच रखी. ये दोनों दिग्गज नेता भी हमेशा मूल मुद्दे पर ही रहे और उसी के बारे में बात की.


 


बीजेपी में सीएम पद का कोई मजबूत दावेदार ना होना
अरविंद केजरीवाल को सबसे बड़ा फायदा विपक्ष में किसी मजबूत दावेदार के ना होने से भी हुआ. इस चुनाव में बीजेपी ने किसी को भी मुख्यमंत्री के तौर पर पेश नहीं कर पाई जिसका पूरा फायदा केजरीवाल को मिला. दिल्ली की जनता ने आप सरकार के कामों और विपक्ष में कोई मजबूत दोवेदार को ना देखते हुए आम आदमी पार्टी को वोट किया.


 


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ बोलना किया बंद
बीजेपी का नाम सुनते ही मन में कोई पहली तस्वीर उभर कर आती है तो वो हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी.. केजरीवाल ने यहां भी दिमाग से काम लिया और नरेंद्र मोदी के खिलाफ बोलना और उनपर हमला करना बंद कर दिया. केजरीवाल कहीं ना कहीं ये समझ गए थे कि उन्हें इसका नुकसान उन्हें चुनाव में उठाना पड़ेगा. इसलिए समय रहते उन्होंने मौके की नजाकत को समझते हुए इससे दूरी बना ली.


 


बात-बात पर पीएम नरेंद्र मोदी को कोसने वाले केजरीवाल ने अचानक चुप्पी साध ली. शायद ये किसी राजनीतिक रणनीतिकार की सलाह थी कि पीएम मोदी पर निशाना साधने से उन्हें कोई फायदा नहीं मिलने वाला बल्कि नुकसान ही होगा. तो ना केजरीवाल ने ऐसा किया और ना ही उन्हें इसका परिणाम भुगतना पड़ा.


 


आरोप लगने पर हमेशा सामने आए केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल पर जब जब आरोप लगे वो जनता के सामने आए. लोगों को आरोप का स्पष्टीकरण दिया और अपनी बात रखी. पिछले दिनों अरविंद केजरीवाल ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के 'आतंकवादी' वाले बयान पर एबीपी न्यूज़ के साथ एक्सक्लूसिव बात करते हुए कहा था कि अगर मैं आतंकवादी हूं तो वोट कमल को दे देना. केजरीवाल ने जनता से अपील करते हुए कहा था, ''अगर मैं आतंकवादी हूं तो अपना वोट कमल को दे देना और अगर आपको लगता है कि केजरीवाल ने दिल्ली के लिए काम किया है तो वोट झाड़ू को देना.'' केजरीवाल ने बीजेपी के नेता प्रवेश वर्मा के उस बयान का जवाब दिया था जिसमें उन्हें आतंकवादी कहा गया था. प्रवेश वर्मा के बाद प्रकाश जावड़ेकर ने भी केजरीवाल को आतंकी करार दिया था.


 


दिल्ली विधानसभा चुनाव में मंगलवार को मिली एकतरफा जीत के बाद आम आदमी पार्टी(आप) ने अपनी राजनीति को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के संकेत दिए हैं. परिणाम घोषित किए जाने के बाद पहली बार कार्यकर्ताओं से बातचीत में आप दिल्ली के संयोजक गोपाल राय ने कहा कि शहर ने प्यार को वोट दिया और नफरत को हराया. उन्होंने कहा कि बात निकली है तो दूर तलक जाएगी, पार्टी की राजनीति केवल दिल्ली तक सीमित नहीं रहेगी.


 


आप नेता ने कहा, "दिल्ली में आप जिस तरह से प्यार को जश्न मनाते हैं, इसने देशभक्ति को नई परिभाषा दी है. इसमें आम आदमी के लिए कार्य करना शामिल है. यहां एक नए प्रकार का राष्ट्रवाद पैदा हुआ है, जो आम आदमी के बारे में बात करने के साथ साथ उसके जीवन स्तर में सुधार की भी बात करता है."