TATA को राहत नहीं, मोबाइल टेलीकॉम बिजनेस बंद होने के बाद भी AGR का देने हैं 13823 करोड़


TATA Group: टाटा समूह की टेलीकॉम कंपनी टाटा टेलीसर्विसेज अपने मोबाइल टेलीकॉम कारोबार से बाहर जा चुकी है. इसके बावजूद समूह को राहत नहीं है, वह AGR का करीब 13,823  करोड़ रुपये का बकाया चुकाने के लिए रकम की व्यवस्था में लगा है.



  • TATA समूह के सामने आई एक बड़ी मुसीबत

  • टाटा टेली का मोबाइल टेलीकॉम कारोबार बंद हो चुका है


TATA समूह के सामने एक बड़ी मुसीबत आ खड़ी हुई है. समूह की टेलीकॉम कंपनी टाटा टेलीसर्विसेज का मोबाइल टेलीकॉम कारोबार बंद हो चुका है,  लेकिन सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद उसे एडजेस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) का करीब 13,823  करोड़ रुपये सरकार देना है. अब टाटा समूह इसके लिए फंड जुटाने की तरकीब लगा रहा है. इसके लिए समूह की एक कंपनी टीसीएस से मदद ली जा सकती है.


ग्रुप कैसे चुकाएगा यह बकाया


टाटा समूह के एक अध‍िकारी ने इस राश‍ि को 'अतार्किक रूप से बहुत ज्यादा' बताया है, लेकिन कंपनी एक-एक पाई चुकाने के लिए प्रतिबद्ध है. टाटा समूह की मुख्य कंपनी टाटा सन्स ने बंद हो चुकी टाटा टेलीसर्विसेज के AGR बकाया चुकाने के लिए फंड जुटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. एजीआर का 13,823 करोड़ रुपये का बकाया चुकाने के लिए समूह की दिग्गज आईटी कंपनी टीसीएस का सहारा लिया जा सकता है.


टीसीएस देश की सबसे बड़ी आईटी कंपनी है. टाटा समूह की टेलीकॉम कंपनी Tata Teleservices की स्थापना 1996 में हुई थी, लेकिन इसका कारोबार सफल नहीं रहा. अगस्त 2017 में टाटा ग्रुप ने भारी घाटे की वजह से कंपनी ने अपना मोबाइल नेटवर्क एयरटेल को बेच दिया था.


सुप्रीम कोर्ट ने दिया था ये निर्णय


इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार सुप्रीम कोर्ट द्वारा टेलीकॉम कंपनियों की फैसले में बदलाव की याचिका को स्वीकार किया जा चुका है, इसके बावजूद समूह पहले से पैसे का बंदोबस्त करने में जुट गया है. गौरतलब है कि बीते साल 24 अक्‍टूबर को एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया और रिलायंस जियो समेत अन्‍य टेलीकॉम कंपनियों को बड़ा झटका लगा था. इस दिन सुप्रीम कोर्ट ने इन टेलीकॉम कंपनियों को सरकार की बकाया रकम (एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू- AGR) चुकाने का आदेश दिया, जो ब्याज वगैरह जोड़कर करीब 1.40 लाख करोड़ रुपये का है.


इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने 23 जनवरी 2020 तक की डेडलाइन भी तय कर दी थी. अब ये डेडलाइन खत्‍म हो गई है. इस समय तक एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया ने बकाये के भुगतान नहीं किये हैं. वहीं मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस जियो ने 195 करोड़ रुपये का भुगतान किया है. लेकिन AGR मामले में टेलीकॉम कंपनियों की सुप्रीम कोर्ट में संशोधन याचिका पर जल्द सुनवाई करने के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है. सरकार द्वारा वसूले जाने वाले एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) की वजह से भारत की कई टेलीकॉम कंपनियां बर्बादी की कगार पर पहुंच गई हैं.


क्या होता है AGR


एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा टेलीकॉम कंपनियों से लिया जाने वाला यूजेज और लाइसेंसिग फीस है. इसके दो हिस्से होते हैं- स्पेक्ट्रम यूजेज चार्ज और लाइसेंसिंग फीस, जो क्रमश 3-5 फीसदी और 8 फीसदी होता है. एयरटेल को इसके तहत 43,000 करोड़ रुपये और वोडाफोन आइडिया को 40,000 करोड़ रुपये देने होंगे.


देश में जियो की चुनौती और अन्य कई वजहों से पहले से ही कई टेलीकॉम कंपनियों की हालत खराब थी, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय उनके लिए बड़ा झटका साबित हुआ है. खासकर टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन-आइडिया लिमिटेड और एयरटेल को एजीआर की वजह से बड़ा घाटा हुआ है. वोडाफोन आइडिया को इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 50,921 करोड़ रुपये का बड़ा घाटा हुआ है. इसे भारत के कॉरपोरेट इतिहास में सबसे बड़ा तिमाही घाटा बताया जा रहा है.